हार्ट पेसमेकर कब लगाना और क्यों ज़रूरी है

हार्ट पेसमेकर कब लगाना और क्यों ज़रूरी है? प्रक्रिया और देखभाल के आसान टिप्स

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आजकल की इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में देखा जाए तो गलत खानपान और गलत रहन सहन की वजह से दिल की समस्याएं बहुत ही आम हो गई है, इसी वजह से हार्ट अटैक के केस बहुत ज्यादा बढ़ रहे हैं । तब आज हार्ट अटैक आता है, जब हम अस्पताल में जाते हैं तो आपने देखा होगा डॉक्टर कहते हैं कि इसको तो पेसमेकर लगवाना पड़ेगा या इसकी पेसमेकर सर्जरी होगी। बहुत सारे लोगों के मन में यह सवाल रहता है कि ” पेसमेकर (heart pacemaker)  होता क्या है, पेसमेकर सर्जरी होती क्या है और यह कैसे की जाती है आज हम इसी बारे में ब्लॉग के माध्यम से विस्तार से जानकारी देंगे।

पेसमेकर क्या है और यह कैसे काम करता है? (What is a pacemaker and how does it work?)

सबसे पहला सवाल होता है कि पेशमकर होता क्या है(Pacemaker Kya Hota hai), तो बता दे आपको की पेसमेकर एक छोटा सा एवं इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होता है, जिसे डॉक्टर त्वचा के नीचे छाती के पास सर्जरी की सहायता से इंप्लांट करते हैं। आपको जानकारी आश्चर्य होगा कि इसी उपकरण की मदद से हार्ट सर्जन  अपने चेंबर में बैठकर आपका हृदय की गतिविधि को आसानी से ट्रैक भी कर सकते हैं और नियंत्रित भी कर सकते हैं।

दूसरा मन में सवाल रहते हैं कि यह काम क्या करता है, तो आपको बता दे कि यह उपकरण आपका हृदय की धड़कन को सामान्य बनाए रखने में हेल्प कर सकता है। पेसमेकर आपके दिल की धड़कन की ले को भी नोट करता है और समय-समय पर इसकी रीडिंग को डॉक्टर को भेजता रहता है अगर आपकी धड़कन धीमी हो जाती है या अनियमित हो जाती है, तो पेसमेकर उसे ठीक करने का काम करता है।

पेसमेकर कब और क्यों लगाया जाता है? (When and why is a pacemaker implanted?)

पेसमेकर (heart pacemaker लगाने की ज़रूरत मरीज तब पड़ती है जब हृदय की प्राकृतिक पेसमेकिंग प्रणाली (जिसे साइनस नोड कहते हैं) ठीक से काम नहीं करती। इसके कुछ मुख्य कारण हैं:

धीमी धड़कन (ब्रैडीकार्डिया): अगर हृदय की धड़कन 60 धड़कन प्रति मिनट कम हो जाती है, तो थकान, चक्कर आना या बेहोशी जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। ऐसी स्थिति में, “पेसमेकर कब लगाया जाता है” का जवाब धड़कन को तेज़ करना है।

हार्ट ब्लॉक: यह तब होता है जब हृदय के ऊपरी और निचले हिस्सों के बीच सिग्नल ब्लॉक हो जाते हैं। डॉक्टर एट्रियोवेंट्रीकुलर ब्लॉक या साइनस नोड डिसफंक्शन जैसी स्थितियों में पेसमेकर लगाने की सलाह देते हैं।

अन्य हृदय रोग: इसे हृदय गति रुकने, अलिंद विकम्पन या पहले हुए हृदयाघात के बाद भी लगाया जा सकता है। अगर आप “पेसमेकर क्यों लगाया जाता है” खोज रहे हैं, तो याद रखें कि यह एक जीवन रक्षक उपकरण है जो हृदय को नियमित धड़कन देने में मदद करता है।

उम्र और अन्य कारक: यह बुजुर्गों में ज़्यादा आम है, लेकिन युवाओं में दवाओं के दुष्प्रभाव या जन्मजात समस्याएं भी पैदा कर सकता है।

डॉक्टर ईसीजी, होल्टर मॉनिटरिंग या अन्य जाँचों के बाद ही कोई निर्णय लेते हैं। अगर आपको चक्कर आ रहे हों या साँस फूल रही हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें – यह पेसमेकर की ज़रूरत का संकेत हो सकता है।

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पेसमेकर लगाने की प्रक्रिया (Pacemaker implantation procedure): चरण दर चरण

“पेसमेकर सर्जरी” (heart pacemaker Surgery) सुनकर डर लगता है, लेकिन यह एक आसान प्रक्रिया है जो लोकल एनेस्थीसिया के तहत होती है। इसमें लगभग 1-2 घंटे लगते हैं। यहाँ देखें कैसे:

तैयारी: सर्जरी से पहले रक्त परीक्षण, ईसीजी और एक्स-रे होते हैं। आपको उपवास रखना पड़ सकता है।

प्रक्रिया: डॉक्टर छाती के ऊपरी हिस्से में एक छोटा सा चीरा लगाते हैं। पेसमेकर त्वचा के नीचे पेसमेकर लगाते हैं और नसों के माध्यम से हृदय तक तार (लीड्स) पहुँचाते हैं। सभी जाँचें फ्लोरोस्कोपी (एक प्रकार का लाइव एक्स-रे) से की जाती हैं।

समापन: चीरा बंद करें और पट्टी बाँधें। अधिकांश मरीज़ उसी दिन या अगले दिन घर जा सकते हैं।

यह प्रक्रिया सुरक्षित है, लेकिन इसमें संक्रमण या रक्तस्राव जैसे जोखिम हो सकते हैं। इसलिए, हमेशा अनुभवी हृदय रोग विशेषज्ञों से सलाह लें।

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पेसमेकर के बाद देखभाल के सुझाव: स्वस्थ रहने के आसान तरीके

पेसमेकर के बाद जीवन सामान्य हो जाता है, लेकिन कुछ सावधानियां ज़रूरी हैं। “पेसमेकर के बाद देखभाल” के लिए यहाँ कुछ व्यावहारिक सुझाव दिए गए हैं:

आराम और रिकवरी: सर्जरी के 1-2 हफ़्ते बाद तक भारी काम न करें। चीरे वाली जगह को साफ़ रखें और डॉक्टर द्वारा दी गई दवाएँ समय पर लें।

आहार और व्यायाम: स्वस्थ आहार लें – फल, सब्ज़ियाँ, कम नमक और वसा। हल्का टहलना शुरू करें, लेकिन डॉक्टर की सलाह से। धूम्रपान और शराब से दूर रहें।

नियमित जाँच: हर 3-6 महीने में पेसमेकर की जाँच करवाएँ। अगर बैटरी 5-10 साल तक चलती है, तो समय पर बदलवा लें।

सावधानियाँ: तेज़ चुंबकीय क्षेत्र (जैसे एमआरआई मशीन) से दूर रहें। हवाई अड्डे की सुरक्षा में अपना पेसमेकर कार्ड दिखाएँ। मोबाइल फ़ोन को पेसमेकर वाली जगह से दूर रखें।

आपातकालीन सुझाव: अगर दिल की धड़कन असामान्य लगे या दर्द हो, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।

याद रखें, पेसमेकर से ज़िंदगी बेहतर है – कई लोग सालों तक सक्रिय रहते हैं।

निष्कर्ष

हृदय पेसमेकर (heart pacemaker) एक चमत्कारी आविष्कार है जो लाखों लोगों की जान बचाता है। अगर आप “हृदय पेसमेकर जानकारी” या “पेसमेकर उपचार” खोज रहे हैं, तो उम्मीद है कि यह ब्लॉग आपके लिए उपयोगी होगा। लेकिन ध्यान दें, यह सामान्य जानकारी है – वास्तविक सलाह के लिए डॉक्टर से बात करें।

किसी भी हृदय संबंधी बीमारी के इलाज के लिए जयपुर के सर्वश्रेष्ठ अस्पताल Rungta Hospital  में अपॉइंटमेंट बुक करें और सही इलाज पाएं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. पेसमेकर लगाने के बाद क्या खाना चाहिए?

    Ans. हार्ट पेसमेकर लगने के बाद मरीज को किसी विशेष आहार की ज्यादा जरूरत तो नहीं होती है, लेकिन एक हृदय को स्वस्थ रख सके ऐसा आहार लेने की सलाह डॉक्टर पेशेंट को देते हैं।

     इसमें फल, सब्जियां, होल ग्रेन्स और लीन प्रोटीन शामिल करें।

     

  2. पेसमेकर की उम्र कितनी होती है?

    Ans. आमतौर पर, पेसमेकर 5 से 15 साल तक चलता है, यह पेसमेकर के प्रकार, मरीज की स्थिति और इसके प्रयोग की आवृत्ति पर निर्भर करता है।

     

  3. क्या पेसमेकर दिल का दौरा रोक सकता है? 

    Ans. पेसमेकर हृदय की लय को नियंत्रित करने में मदद करता है, लेकिन यह सीधे दिल के दौरा रोकने में असमर्थ नहीं है। इस उपकरण की मदद से हृदय रोग की जटिलताओं के जोखिम कम किया जा सकता है।a