jaundice symptoms causes and treatment in hindi

पीलिया के लक्षण, कारण, और उपचार

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आज हम बात करेंगे एक आम लेकिन गंभीर बीमारी पीलिया की। पीलिया कोई बीमारी नहीं है, बल्कि यह एक लक्षण (symptom) है जो शरीर में बिलिरुबिन (Bilirubin) नामक पदार्थ के स्तर के बढ़ने के कारण होता है। जब त्वचा, आँखों का सफेद हिस्सा और नाखून पीले पड़ने लगें, तो इसे पीलिया कहते हैं।

पीलिया के लक्षण

  1. त्वचा और आँखों का पीला पड़ना (त्वचा और स्क्लेरा यानी आँख का सफेद हिस्सा पीला हो जाता है)
  2. पेशाब का गाढ़ा पीला या भूरा होना (Dark yellow or brownish urine)
  3. मल का हल्का पीला या सफेद (clay-colored) होना
  4. थकान और कमजोरी महसूस होना
  5. पेट दर्द, विशेषकर दाहिनी ऊपरी तरफ (जहाँ लिवर होता है)
  6. भूख न लगना, जी मिचलाना, उल्टी होना
  7. हल्का बुखार

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पीलिया होने के कारण

पीलिया मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है और हर प्रकार का कारण अलग होता है:

1. Pre-hepatic Jaundice (लिवर से पहले का)

  • अत्यधिक पुरानी लाल रक्त कोशिकाओं का टूटना (Hemolysis)
  • मलेरिया, सिकल सेल एनीमिया, G6PD deficiency आदि

2. Hepatic Jaundice (लिवर में समस्या)

  • हेपेटाइटिस A, B, C, D, E वायरस
  • अल्कोहल से लिवर सिरोसिस
  • दवाइयों का साइड इफेक्ट (जैसे पैरासिटामॉल की ज्यादा मात्रा)
  • ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस
  • गिल्बर्ट सिंड्रोम (आनुवंशिक)

3. Post-hepatic / Obstructive Jaundice (लिवर के बाद रुकावट)

  • पित्त की थैली में पथरी (Gallstones)
  • पित्त नलिकाओं में रुकावट या ट्यूमर
  • अग्न्याशय का कैंसर (Pancreatic cancer)
  • पित्त नलिका का सिकुड़ना

पीलिया का निदान

पीलिया का निदान कई तरीकों से किया जा सकता है, जिसमें शामिल हैं:

  1. शारीरिक परीक्षा: डॉक्टर त्वचा और आंखों के रंग की जांच करते हैं और पेट का निरीक्षण करते हैं।
  2. रक्त परीक्षण: बिलीरुबिन स्तर, लिवर फंक्शन टेस्ट और पूर्ण रक्त गणना (CBC) सहित विभिन्न रक्त परीक्षण किए जाते हैं।
  3. इमेजिंग टेस्ट: अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन या एमआरआई का उपयोग करके लीवर, गॉलब्लैडर और बाइल डक्ट की स्थिति की जांच की जाती है।
  4. बायोप्सी: कुछ मामलों में, लीवर की बायोप्सी की जाती है ताकि लीवर की स्थिति का और अधिक विस्तृत निरीक्षण किया जा सके।

कब तुरंत डॉक्टर के पास जाएं?

  • अगर पीलिया के साथ तेज बुखार, उल्टी बंद न हो, बेहोशी या मानसिक स्थिति खराब हो
  • पेट बहुत फूल जाए या बहुत दर्द हो
  • बच्चे में 2 हफ्ते से ज्यादा पीलिया रहे

 पीलिया को हल्के में न लें। शुरुआत में ही डॉक्टर से जांच करवाएं क्योंकि यह लिवर की गंभीर बीमारी का पहला संकेत हो सकता है।

स्वस्थ रहें, सावधान रहें!

नवजात शिशुओं में पीलिया

नवजात शिशुओं में पीलिया एक सामान्य चिकित्सीय स्थिति है, जिसे नवजात पीलिया भी कहा जाता है। हालांकि, कुछ मामलों में, इलाज की आवश्यकता हो सकती है:

  1. फोटोथेरेपी: नवजात शिशुओं में पीलिया का इलाज करने के लिए फोटोथेरेपी का उपयोग किया जाता है, जिसमें विशेष नीली रोशनी का उपयोग करके बिलीरुबिन को तोड़ा जाता है।
  2. इंट्रावेनस इम्यूनोग्लोबुलिन (IVIG): गंभीर मामलों में, IVIG थेरेपी का उपयोग किया जा सकता है।
  3. ब्लड एक्सचेंज ट्रांसफ्यूजन: बहुत ही गंभीर मामलों में, ब्लड एक्सचेंज ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता हो सकती है।

निष्कर्ष

पीलिया एक सामान्य से दिखने वाली एक ऐसी चिकित्सीय स्थित है अगर समय पर उसे पर ध्यान नहीं दिया जाए तो वह बहुत ही गंभीर रूप ले सकती है,  जिसमें जान भी जाने की संभावना रहती है। सही निदान और उचित उपचार से पीलिया को ठीक किया जा सकता है और इसके गंभीर परिणामों से बचा जा सकता है।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पीलिया का इलाज सिर्फ डाइट चेंज से नहीं हो सकता है। इस स्थिति के इलाज के लिए डाइट एक सहायक इलाज के विकल्प के तौर पर मदद कर सकता है। पीलिया का सामान्य स्तर लगभग 0.2 – 1.0 mg/dL है। यदि रिपोर्ट में यह स्तर 1.0 mg/dL से ऊपर आ जाए, तो तुरंत परामर्श लें और इलाज के विकल्पों पर विचार करें। 

नोट:- Rungta Hospital  के पास अच्छे और अनुभवी चिकित्स्कों क़ी टीम है जो आपको ऐसी कंडीशन में सही इलाज और जानकारी देने में आपकी मदद क़र सकती है